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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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लाडली
‘बच्चे मन के सच्चे‘ इस विश्वास के अनुसार माँ ने दीपा से पूछा- ‘जरा बता तो इस बार अपने घर में कौन आएगा...राधा या कृष्ण...?‘
‘राधा‘ अनायास दीपा के मुंह से निकल गया।
दीपा की बात सुनकर माँ उदास हो गयी। एक लड़का आ जाता तो आदर्श परिवार बन जाता और रोज-रोज से पीछा छूटता, परन्तु क्या करे भगवान की मर्जी- माँ मन मसोस कर रह गयी।
अगले महीने माँ ने दीपा से फिर वही प्रश्न पूछा तो उसने कुछ सोचकर कह दिया, ’मम्मी हमारे घर कृष्ण आएंगे।’ माँ का चेहरा खिल उठा। उसने तभी बेटी को लड्डू निकालकर खिलाया दीपा ने माँ की खुशी को पकड़ लिया। अब माँ कभी भी यह प्रश्न पूछती तो दीपा एकदम कह देती, मम्मी हमारे घर कृष्ण जन्म लेगा।
दीपा की बात झूठ निकली और एक दिन घर में राधा ही आ गयी। घर में दो राधा आ गयी। सब अपना-अपना भाग्य लाती हैं- माँ ने अपने मन को समझा लिया- आजकल तो सब कामों में लड़कियां आगे हैं। रिश्ते वाले भी घर से माँगकर ले जाते हैं। सरकार भी लाडली योजना में आर्थिक लाभ देती है-फिर चिंता क्या है... सोचते-सोचते उसकी उदासी मिट गयी और बगल में लेटी हुई अपनी लाडली को उसने सीने से चिपका लिया।
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