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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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एक ओर द्रोपदी
उसका नाम जो भी रहा हो परन्तु हमने उसका नाम द्रोपदी रख दिया, क्योंकि उसने अपने साथ पांच पतियों को रखने का निर्णय किया था। किसी माता के आदेश से नहीं बल्कि वह पांच पतियों को पालने में गर्व अनुभव करती थी।
उसका पहला पति बहुत धनवान था जो हर भोग-विलास की वस्तु उसके लिए जुटाता। दूसरा पति बहुत सुंदर था जो सदैव भंवरे की भांति उसके आस-पास मंडराता रहता। तीसरा गबरू नौजवान और बलशाली था जो सदैव उसकी सेवा में खड़ा रहता। चौथा कलाकार जो सदैव गाकर बजाकर, नृत्य से उसका मन बहलाने को तत्पर रहता। पांचवा बुद्धिमान पति सदैव उसको नीतिशास्त्र की बातें समझाता रहता।
इनके अतिरिक्त कई पुरुष और भी द्रोपदी की ड्योडी में नजर लगाए सोचते रहते हम तो अपने बाप-दादा द्वारा की गयी कन्या भ्रूण हत्या का परिणाम भुगत रहे हैं परन्तु अब तो...।
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