नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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चश्मा
माँ ने दाखिलें का फार्म भरकर मास्टर साहब के हाथ में दे दिया।
फार्म देखते ही मास्टर साहब चौंके, ’आपने फार्म में लड़के के बाप का नाम नहीं लिखा?’
‘मैंने अपना नाम लिख तो दिया है।’
‘अपना क्यों?’
‘इसका बाप नहीं है...।’
‘क्या...?’ मास्टर साहब ने अपना चश्मा व्यवस्थित किया।
‘मुझे पता नहीं कौन है।’ वह झुंझला उठी, ’आप समझ लीजिए, इसका बाप भी मैं ही हूं...।’
‘अच्छा...अच्छा...ठीक है, सब समझ गया...’ बड़े रहस्यमयी ढंग से मुस्कराते हुए मास्टर साहब की नजर उसकी चमड़ी से चिपकने लगी।
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