लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> काम

काम

रामकिंकर जी महाराज

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :49
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9811
आईएसबीएन :9781613016176

Like this Hindi book 0

मानसिक विकार - काम पर महाराज जी के प्रवचन


'राम' और 'काम' एक-दूसरे के विरोधी हो सकते हैं और एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हो सकते हैं, पर दोनों को जोड़ देना ही बहुत बड़ी कला है। विवाह तो काम के बिना होगा नहीं अत: भगवान् राम के विवाह में भी काम उपस्थित है। पर वह घोड़े के रूप में है, 'सवार' के रूप में नहीं है। गोस्वामीजी कहते हैं कि भगवान् राम जिस अश्व पर दूल्हे के रूप में विराजमान हैं, वह कामदेव ही है और उस (काम-अश्व) की लगाम भगवान् राम के हाथ में है। चंचलता और गतिशीलता तो अश्व के स्वाभाविक गुण हैं पर कठिनाई तब होती है कि जब वह सवार को अपनी इच्छा से जहाँ चाहे ले जाने में स्वतंत्र हो जाय! ऐसी स्थिति में वह सवार को न जाने किधर ले जाय? और न जाने कब पटक दे, गिरा दे? पर यदि उसकी लगाम, उस पर आरूढ़ व्यक्ति के हाथ में हो, तो फिर वह किसी प्रकार से कोई अहित नहीं कर सकता। गोस्वामीजी दूल्हे के रूप में अश्वारूढ़ भगवान् राम का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह दृश्य बड़ा ही सुंदर है-

जेहिं तुरंग पर रामु बिराजे।
गति विलोकि खगनायक खाने।।
कहि न जाइ सब भाँति सुहावा।
बाजि वेपु जनु काम बनावा।।

जनु बाजि बेष बनाइ मनसिजु राम हित अति सोहई।
आपने बय बल रूप गुन गति सकल भुवन विमोहई।।
जगमगत जीनु जराव जोति सुमोति मनि मानिक लगे।
किंकिनि ललाम लगामु ललित विलोकि सुर नर मुनि ठगे।।
(1/315/छ)

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book