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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

मोहनदेव-धर्मपाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9809
आईएसबीएन :9781613015797

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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)

गोस्वामी जी का जन्म-स्थान-गोस्वामी जी के जन्म-समय के समान ही जन्म-स्थान के सम्बन्ध में भी तीन प्रमुख मत हैं-

(क) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आदि गोस्वामी जी का जन्म राजापुर में मानते हैं।

(ख) श्री रामनरेश त्रिपाठी आदि एटा जिले के प्रसिद्ध स्थान सोरों (सूकर क्षेत्र) को उनकी जन्म-भूमि मानते हैं।

(ग) आचार्य चन्द्रबली पांडे ने कहा है कि सम्भवत: सोरों और राजापुर दोनों ही उनके जन्म-स्थान न हों। इसी विचार को लेकर अनेक आलोचकों ने गोस्वामी जी का जन्म अयोध्या में माना है।

वास्तव में यह एक अत्यन्त विवादग्रस्त विषय है, पर यह तो निश्चित ही है कि इन तीनों स्थानों से गोस्वामी जी का निकट सम्बन्ध रहा। सोरों में उनका बचपन बीता, यौवन में वे राजापुर रहे और प्रौढ़ावस्था में उनका अधिकतर समय अयोध्या में व्यतीत हुआ। बहुमत के अनुसार अभी तक राजापुर ही गोस्वामी जी का जन्म-स्थान ठहरता है और उसी आधार पर उत्तरप्रदेश सरकार ने राजापुर में गोस्वामी जी का एक भव्य स्मारक बनाने का निश्चय किया है।

गोस्वामी जी का कुल तथा परिवार-गोस्वामी जी जन्म से ब्राह्मण थे। यह अनेक अन्तरंग और बहिरंग प्रमाणों से स्पष्ट सिद्ध है। ब्राहाणों में वे सरयूपारीण थे या सनाढ्य, अथवा अन्य किसी उपजाति से सम्बद्ध थे, इस सम्बन्ध में प्रामाणिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इसी प्रकार गोस्वामी जी के माता, पिता, पत्नी, परिवार आदि के सम्बन्ध में भी अन्तरंग साक्ष्य के आधार पर कुछ निश्चय नहीं होता। बहिरंग साक्ष्य के आधार पर उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे, माता का नाम हुलसी और पत्नी का नाम रत्नावली कहा जाता हे। हुलसी के सम्बन्ध में निम्न दोहा प्रसिद्ध है-

सुरतिय नरतिय नागतिय, औरै तिय जग माहिं।
गोद लिये हुलसी फिरै, तुलसी सो सुत जाहिं।।

गोस्वामी ने मानस में अनेक स्थलों पर 'हुलसी' शब्द का प्रयोग किया है। इसी आधार पर उनकी माता का नाम हुलसी कहा गया है। पर कुछ दिन हुए श्री चन्द्रबली पांडे ने हिन्दी-संसार के सम्मुख यह प्रश्न प्रस्तुत किया कि वास्तव में हुलसी गोस्वामी जी की माता थी या पत्नी। साथ ही उन्होंने यह भी सिद्ध करने की चेष्टा की कि वह पत्नी ही थी, माता नहीं। किन्तु हमारा मत है कि हुलसी वास्तव में उनकी माता तथा पत्नी किसी का भी नाम नहीं था क्योंकि मानस में प्रयुक्त 'हुलसी' शब्द किसी नाम-विशेष की ओर संकेत नहीं करता। इसी प्रकार-

राम को गुलाम नाम, राम बोला राख्यो राम।

के आधार पर उनके बचपन का नाम 'रामबोला' कहा गया है किन्तु यह भी ठीक नहीं, रामबोला भी सामान्य अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। वास्तव में उनका जन्म-नाम तुलसी या तुलसीदास ही था।

बंदौ गुरुपद कंज, कृपासिन्धु नररूप हरि।

के आधार पर इनके गुरु का नाम नरहरिदास कहा जाता है किन्तु यह भी प्रामाणिक नहीं, क्योंकि 'नररूप हरि' से नरहरि या नरहरिदास का ग्रहण नहीं हो सकता। कहा जाता हैं कि गोस्वामी जी काशी के तात्कालिक प्रसिद्ध विद्वान् शेषसनातन के शिष्य थे।

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