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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

मोहनदेव-धर्मपाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9809
आईएसबीएन :9781613015797

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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)

इसके लिए हम निम्न प्रमाण दे सकते है-

गोस्वामी जी १०-१२ वर्ष की अवस्था तक अनाथों की भाँति इधर-उधर भटकते रहे। फिर उनका काशी में या कहीं अन्यत्र विद्याध्ययन प्रारम्भ हुआ और यह अध्ययन भी १५-१६ वर्ष चला। इस अध्ययन के समाप्त होने पर ३०-३२ वर्ष की अवस्था में उनका विवाह हुआ। ५-७ वर्ष उनके गुहस्थ जीवन में भी बीते होंगे। ४०-४२ वर्ष की अवस्था में उन्होंने गृह-त्याग कर वानप्रस्थ जीवन प्रारम्भ किया।

१५-१६ वर्ष तक उन्होंने भ्रमण करते हुए भारत के सभी तीर्थों की यात्रा की। तत्पश्चात् वे अयोध्या, काशी और चित्रकूट में रहने लगे। इसी समय जम कर उन्हें कुछ काव्य लिखने का अवसर प्राप्त हुआ। पहले उन्होंने छोटी-मोटी आरम्भिक रचनाएँ लिखीं और फिर हिन्दी-साहित्य का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ 'मानस' निर्मित हुआ। इस प्रकार मानस का निर्माण ७० वर्ष की अवस्था से पूर्व कदापि सम्भव प्रतीत नहीं होता। ३०-३५ वर्ष की अवस्था में तो कवि सम्मवत: काव्य-रचना की ओर प्रवृत्त ही नहीं हुआ होगा।

१५५४ में ही गोस्वामी जी का जन्म मानने के कुछ अन्य भी कारण हैं-

(क) मीराबाई के सम्बन्ध में प्रसिद्ध है कि चित्तौड़ छोड़ने से पहले उन्होंने गोस्वामी जी को एक पत्र लिखकर गृह-त्याग के सम्बन्ध में उनसे सम्मति पूछी थी, जिसके उत्तर में गोस्वामी जी ने-

जाके प्रिय न राम वैदेही,

सो नर तजिय कोटि वैरी सम, जद्यपि परम सनेही।

आदि प्रसिद्ध पद लिखकर भेजा था।

मीरा के गृहत्याग की यह घटना संवत् १६०० के लगभग की है, अत: गोस्वामी जी का जन्म १५५४ में मानने पर ही यह सत्य सिद्ध हो सकती है।

(ख) इसके अतिरिक्त तुलसीदास जी और नन्ददास जी भाई (संभवत: गुरु भाई) भी कहे जाते हैं। कम-से-कम इन दोनों का प्रेम-परिचय आदि अवश्य था। यह भी गोस्वामी जी का जन्म १५५४ में मानने पर ही ठीक होता है। अत: हम इसी निष्कर्ष पर पहुँचते है कि गोस्वामी जी का जन्म १५५४ में मानना ही अधिक युक्तिसंगत है।

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