कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 22 प्रेमचन्द की कहानियाँ 22प्रेमचंद
|
54 पाठक हैं |
प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का बाइसवाँ भाग
कुँवर साहब से मलूका की यह वाचालता सही न गई। उन्हें इस पर क्रोध आ गया। राजा, रईस ठहरे। उन्होंने बहुत कुछ खरी-खोटी सुनाई और कहा- ''कोई है! जरा इस बुढ्ढे का कान तो गरम करे, यह बहुत बढ़-बढ़ कर बातें करता है।''
उन्होंने तो कदाचित् धमकाने की इच्छा से कहा, किंतु चपरासियों की आँखों में चाँदपार खटक रहा था। एक तेज चपरासी कादिर खाँ ने लपककर बूढ़े की गर्दन पकड़ी और ऐसा धक्का दिया कि बेचारा जमीन पर जा गिरा। मलूका के दो जवान बेटे वहाँ चुपचाप खड़े थे। बाप की ऐसी दशा देखकर उसका रक्त गर्म हो उठा। वे दोनों झपटे और कादिर खाँ पर टूट पड़े। धमाधम शब्द सुनाई पड़ने लगा। खाँ साहब का पानी उतर गया। साफा अलग जा गिरा। अचकन के टुकड़े-टुकड़े हो गए, किंतु जबान चलती रही। मलूका ने देखा, बात बिगड़ गई। वह उठा और क़ादिर खाँ को छुड़ाकर अपने लड़कों को गालियाँ देने लगा। जब लड़कों ने उसी को डाँटा, तब दौड़कर कुँवर साहब के चरणों पर गिर पड़ा पर बात यथार्थ में बिगड़ गई थी। वूढ़े के इस विनीत भाव का कुछ प्रभाव न हुआ। कुँवर साहब की आँखों से मानो आग के अंगारे निकल रहे थे। वे बोले- ''बेईमान, आँखों के सामने से दूर हो जा। नहीं तेरा खून पी जाऊँगा।''
बूढ़े के शरीर में रक्त तो अब वैसा न रहा था, किंतु कुछ गर्मी अवश्य थी। वह समझा था कि ये कुछ न्याय करेंगे, परंतु यह फटकार सुनकर बोला- ''सरकार बुढ़ापे में आपके दरवाजे पर पानी उतर गया और तिस पर सरकार हमीं को डाँटते हैं।''
कुँवर साहब ने कहा- ''तुम्हारी इज़्ज़त अभी क्या उतरी है, अब उतरेगी।''
दोनों लड़के सरोष बोले- ''सरकार अपना रुपया लेंगे कि किसी की इज्जत लेंगे।''
कुँवर साहब (ऐंठकर)- ''रुपया पीछे लेंगे। पहले देखेंगे कि तुम्हारी इज्जत कितनी है।''
चाँदपार के किसान अपने गाँव पर पहुँचकर पंडित दुर्गानाथ से अपनी रामकहानी कह ही रहे थे कि कुँवर साहब का दूत पहुँचा और खबर दी कि सरकार ने आपको अभी बुलाया है।
दुर्गानाथ ने असामियों को परितोष दिया और आप घोड़े पर सवार होकर दरबार में हाज़िर हुए।
|