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वीर बालिकाएँ

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9732
आईएसबीएन :9781613012840

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साहसी बालिकाओँ की प्रेरणात्मक कथाएँ

सूर्य और परमाल

बगदाद के खलीफा वलीद की सेना ने भारत में सिन्ध प्रदेश के देवल राज्य पर आक्रमण किया। इस सेना का सेनापति मुहम्मद बिन कासिम था। देवल के राजा दाहर और उनके पुत्र जयशाह ने अपनी सेना के साथ शत्रु का सामना किया। देवल राज्य की सेना के वीरों ने बड़ी बहादुरी से युद्ध किया; लेकिन आक्रमण करने वाली शत्रुसेना बहुत बड़ी थी। देवल राज्य की पूरी सेना और राजा तथा राजकुमार भी युद्ध में मारे गये। वहाँ की महारानी ने अपने पति की मृत्यु का समाचार सुना तो वे स्त्रियों की सेना बनाकर राजमहल से निकलीं और शत्रुओं पर टूट पड़ीं। महारानी और उनके साथ की वीर स्त्रियाँ युद्ध करते हुए मारी गयीं। मुहम्मद बिन कासिम ने राजमहल लुटवा लिया। लूट के दूसरे सामान के साथ उसने राजा दाहर का कटा सिर, राजा का छत्र और उनकी दोनों सूर्य और परमाल नाम की पुत्रियों को बंदी बनाकर बगदाद भेज दिया। वह स्वयं पूरे भारतवर्ष को जीतना चाहता था; इसलिये सिन्ध में ही रुक गया।

बगदाद के खलीफा के पास जब राजा दाहर की पुत्रियाँ पहुँचीं तो वह इनकी अद्भुत सुन्दरता देखकर अचम्भे में आ गया, उसे लगा कि स्वर्ग से अप्सराएँ आ गयी हैं। उसने सूर्यकुमारी से विवाह का प्रस्ताव किया। बेचारी राजकुमारियाँ विदेश में शत्रु के राजमहल में अकेली क्या कर सकती थीं। लेकिन उन्होंने अपने पिता को मारनेवाले से बदला लेने का निश्चय कर लिया था। जब खलीफा ने सूर्यकुमारी से विवाह का प्रस्ताव किया तो वह रोने लगी। उसे रोते देखकर खलीफा उसे चुप कराने उसकी ओर चला। सूर्यकुमारी पीछे हट गयी और बोली- 'खलीफा! आप हमें छूना मत। आपके नीच सेनापति बिन कासिम ने हमें अपवित्र कर दिया है।'

खलीफा ने यह सुना तो वह क्रोध से काँपने लगा। उसने उसी समय अपने दूत भारत भेजे और यह आज्ञा दी कि मुहम्मद बिन कासिम को जीते-जी सूखी खाल में सी दिया जाय और उसकी लाश मेरे सामने हाजिर की जाय। खलीफा के दूत भारत आये। मुहम्मद बिन कासिम ने बहुत प्रयत्न किया कि वह जीवित खलीफा के पास पहुँचे और अपने को निर्दोष बता सके; किंतु उसकी बात किसी ने नहीं मानी। वह सूखी खाल में जीते-जी सी दिया गया।

सूखी खाल के बोरे में सीने पर मुहम्मद बिन कासिम तो मर ही गया। उसकी लाश उस बोरे में बगदाद पहुँचायी गयी। क्रोध में आकर खलीफा ने उस पर कई लातें लगायीं। इसके बाद खलीफा अपने महल की छत पर गया। वहाँ उसने सूर्य और परमाल को बुलाकर बताया कि मुहम्मद बिन कासिम की लाश चमड़े के बोरे में सीकर नीचे दरबार में पड़ी है।

सूर्यकुमारी ने कहा- 'ठीक है, हमने अपने पिता को मारने और अपने देश को लूटने वाले से बदला ले लिया।'

जब खलीफा को मालूम हुआ कि उसके सेनापति का कोई दोष नहीं था, तब उसने अपना सिर पीट लिया। सूर्यकुमारी ने क्रोध से पागल खलीफा से कहा- 'हम हिंदूकुमारियाँ हैं समझे! किसमें साहस है जो जीते-जी हमारे शरीर को हाथ लगा देगा।' इतना कहकर इन दोनों वीर बालिकाओं ने महल की छत के बिलकुल किनारे खड़ी होकर एक दूसरे की छाती में विष से बुझी कटार जोर से भोंक दी और उनके प्राणहीन देह उस ऊँची छत से नीचे लुढ़क गये। खलीफा भारत की लड़कियों की यह आश्चर्यजनक वीरता देखकर ऐसा घबराया कि वहीं सिर पकड़कर बैठ गया।

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