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वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

रुख़साना ने एक दृष्टि उसके चेहरे पर डाली और उसकी गहरी नींद की ओर से संतुष्ट होकर धीरे से अपनी कमर पर से उसका हाथ हटाया और खिसककर बिस्तर से नीचे उतर गई। फ़र्श पर पड़ी अपनी मैक्सी उठाकर उसने गुरनाम को देखा, जिसके मुंह से निकलते खर्राटे उसकी गहरी नींद का प्रमाण दे रहे थे। रुख़साना ने जल्दी-जल्दी मैक्सी पहनी और दोनों हाथों से अपने बिखरे बाल संवारे। फिर सिरहाने रखे हए अपने हैंडबैग में से एक छोटी-सी पेंसिल टार्च निकाली और उसकी रोशनी कमरे में इधर-उधर फेंकी। पतली-सी रोशनी की रेखा एक बार गुरनाम के नंगे स्वस्थ शरीर पर पड़ी। और वह मुस्करा दी। उसने आगे बढ़कर उसके नंगे शरीर को एक चादर से ढक दिया।

थोड़ी ही देर में उसने पेंसिल टार्च के सीमित प्रकाश में सारा कमरा छान मारा। जल्दी-जल्दी उसने गुरनाम के सूटकेस, अलमारी और मेज़ के सभी ख़ाने देख डाले। किन्तु उसे काम की कोई विशेष चीज़ उपलब्ध नहीं हुई। वह कुछ निराश-सी हो गई। फिर एकाएक उसकी दृष्टि पलंग के पास रखी छोटी साइड टेबल पर पड़ी और वह उधर लपकी।

साइड टेबल का पहला खाना खोलते ही उसकी आंखें खुशी से चमकने लगीं। वहां वह फ़िल्म पड़ी थी, जिसके बारे में गुरनाम ने रशीद से कहा था। फ़िल्म के साथ ही गुरनाम का आईडेंटिटी कार्ड भी रखा हुआ था, जिसे पढ़ते ही रुख़साना को इस बात का प्रमाण मिल गया कि वास्तव में गुरनाम मिलिट्री इन्टैलिजेंस डिपार्टमेंट का आदमी है। उसके होंठों पर मुस्कराहट उभर आई और उसने वह कार्ड अपने बैग में रखना चाहा। परन्तु फिर कुछ सोचकर उसने कार्ड वहीं छोड़ दिया और केवल फ़िल्म की रील सावधानी से बैग में रख ली। फिर उसने टार्च बुझा दी अंधेरे में ही अपने सैंडल टटोले और उन्हें हाथों में उठाए दबे पांव उस दरवाज़े तक चली आई जो बरामदे की ओर खुलता था। उसने धीरे से चटकनी खोली। पलट कर एक नज़र नींद में डबे हुए गुरनाम के बदन पर डाली और चुपके से कमरे से बाहर चली गई।

रुख़साना ने कमरे से बाहर क़दम निकाला ही था कि गुरनाम के खर्राटों को जैसे ब्रेक लग गए। वह तड़प कर बिस्तर पर उठ बैठा और झट उछलकर उस दरवाज़े तक जा पहुंच्रा, जिससे अभी-अभी रुख़साना बाहर निकली थी। उसने दरवाज़े का पर्दा हटाकर बाहर झांका तो रुख़साना तेज़ी से होटल का लान पार कर रही थी। गुरनाम ने फुर्ती से कपड़े पहने, ओवरकोट पहनकर जेब में पिस्तौल टटोला, अपना कार्ड लिया और लपक कर बाहर निकल आया।

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