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वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

8

भीगी-भीगी धुंधली-सी शाम थी...चारों ओर अंधेरा फैल रहा था। वातावरण सुगंधमयी था।

रशीद ओबेराय पलेस के लॉन में बैठा पूनम की प्रतीक्षा कर रहा था। उसके अभी तक न आने से रशीद की बेचैनी बढ़ रही थी। बार-बार उसकी दृष्टि मुख्य प्रवेश द्वार पर जाती और लौट आती। फिर वह कलाई की घड़ी को देखने लगता। उसे यों अनुभव हो रहा था, जैसे उसकी घड़ी की सुइयां एक स्थान पर रुक गई हों...समय की गति थम गई हो।

घड़ी देखते ही उसे अपने हमशकल रणजीत की याद आ गई। यह रणजीत की ही घड़ी थी, जो पकड़ जाने से पहले उसकी कलाई पर बंधी थी। रणजीत के भेष में वह हर ऐसा प्रमाण अपने पास रखना चाहता था, जो उसे रणजीत ही सिद्ध करे। मानसिक बेचैनी को दूर करने के लिए उसने बैरे को बुलाकर एक लेमन जूस लाने का आर्डर दिया और मुंह में सिगरेट लगाकर उसे सुलगाने के लिए जेब से पूनम वाला लाइटर निकाला।

इससे पहले कि वह अपना लाइटर मुंह तक ले जाता, उसके चेहरे के पास एक दूसरी लौ भभक उठी। रशीद सिगरेट सुलगाने से पहले चौंककर मुड़ा और उस व्यक्ति को देखने लगा, जो जलता हुआ लाइटर उसकी ओर बढ़ाये मुस्करा रहा था। एक अजनबी को अपने पास देखकर रशीद को आश्चर्य हुआ।

''प्लीज़...।'' अजनबी ने लाइटर की लौ उसके सिगरेट से लगाते हुए कहा।

रशीद ने सिगरेट सुलगा लिया और ध्यानपूर्वक उस अजनबी को देखने लगा। उसकी रहस्यमयी मुस्कराहट उसे उलझन में डाल रही थी।

''हैलो...।'' अजनबी के मोटे और भद्दे होंठ हिले।

''हैलो।'' रशीद ने उत्तर दिया।

''आपका हमारा टेस्ट मिलता है।'' अजनबी ने कहा और जेब से 555 सिगरेट की डिबिया निकालकर उसको दिखाते हुए बोला-''फ़ाइव फ़ाइव फ़ाइव ब्रांड का सिगरेट।''

पांच सौ पचपन का संकेत सुनकर रशीद चौकन्ना हो गया उसने सिर से पैर तक एक गहरी दृष्टि अजनबी पर डाली। शायद यही जान मिल्ज़ था। उसे झट मेज़र सिंधु के ड्राइवर शाहबाज़ के शब्द याद आ गए-''जान मिल्ज़ एंग्लो इंडियन है। आपको हर रात ओबेराय पैलेस में मिलेगा।''

अजनबी रशीद के चेहरे पर अंकित उसके मनोभाव पढ़ते हुए धीर से बोला-''बी एट इज़ मेजर... आई एम जान मिल्ज़। आप कैसे हैं?"

''थैंक यू...मैं बिल्कुल मज़े में हूं।'' रशीद ने उसे सामने वाली कुर्सी पर बैठने का संकेत किया।

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