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वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

6

रात के तीन बज रहे थे। सर्वत्र सन्नाटा छाया हुआ था। केवल रणजीत अपनी कोठरी में लेटा जाग रहा था। अली अहमद बाथरूम के दरवाज़े पर मुसल्ला बिछाए झुका हुआ तस्बीह फेर रहा था। अचानक धीरे से बाथरूम का दरवाजा खुला और सुरंग खोदने वाले साथी ने इशारे से बताया कि सुरंग तैयार हो गई है। अहमद ने, उस पाकिस्तानी पहरेदार की ओर देखा जो थोड़े फासले पर उसकी ओर पीठ किये खड़ा, बीड़ी पी रहा था और फिर एकाएक खड़े होकर नमाज़ की नीयत बांधते हए जोर से 'अल्ला हु अकबर' कहा। रणजीत इसी संकेत की प्रतीक्षा में था। यह आवाज़ सुनते ही वह हाथ में पानी का डिब्बा लेकर अपने कमरे से निकला और इधर-उधर देखकर तेज़ी से बाथरूम में घुस गया। तभी पहरेदार पलटा और अहमद को बेवक्त नमाज़ पढ़ते देखकर चौंक पड़ा। वह तेजी के साथ उसके पास आया और बोला-''यह इतनी रात को नमाज़ पढ़ने का कौन-सा वक्त है।''

अली अहमद ने कोई उत्तर नहीं दिया और निरंतर नमाज़ पढ़ता रहा। तभी बाथरूम में कुछ आहट सुनकर पहरेदार को कुछ संदेह हुआ और वह बाथरूम की ओर झपटते हुए बोला-''कौन है अंदर? खोलो दरवाजा...वरना मैं दरवाज़ा तोड़ दूंगा।''

अंदर से कोई उत्तर न पाकर उसने दरवाज़ा खटखटाना शुरू कर दिया। अब भी उत्तर न मिलने पर उसने पूरी ताक़त से दरवाजे पर ज़ोरदार ठोकर मारी। दो ही ठोकरों से दरवाज़ा धड़ाक से खुल गया। पहरेदार ने लपककर बाथरूम में घुसना चाहा, लेकिन अहमद ने शीघ्रता से उछलकर उसे दबोच लिया। दोनों में हाथापाई होने लगी। अहमद उसकी बंदूक छीन लेना चाहता था। अहमद की पकड़ से छूटने की खींचातानी में पहरेदार का हाथ बंदूक के घोडे पर पड गया...एक धमाका हुआ और 'या अल्लाह' कहता हुआ लड़खड़ाकर अहमद ज़मीन पर गिर गया। उसके सीने से खून का फ़व्वारा छूट पड़ा। पूरे कैम्प में खलबली मच गई। पाकिस्तानी अफ़सर और सिपाही आवाज़ की ओर लपकने लगे।

धमाके की आवाज़ सुनकर रणजीत समझ गया कि अब कुशल नहीं है। उसे जल्दी ही सुरंग से बाहर निकल जाना चाहिए। वह तेज़ी से उस टेढ़ी-मेढ़ी तंग और अंधेरी सुरंग में सांप की तरह रेंगने लगा। उसके मुंह, नाक और कानों में मिट्टी भर गई। कई जगह से बदन छिल गया...। लेकिन उसने साहस नहीं छोड़ा और वह सुरंग के दूसरे सिरे पर पहुंचने में सफल हो गया। सुरंग के अंदर से ही उसने तारों भरे आसमान की ओर देखा और भगवान का शुक्र मनाया। यह खुशी से उन्मत्त सोच रहा था कि कुछ ही क्षण में वह

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