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वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

ट्रक वाघा बार्डर पर पहुंचकर रुक गया। रशीद की परीक्षा की पहली मंजिल यही थी। उधर से भी पाकिस्तानी क़ैदियों का एक जत्था अभी-अभी पहुंचा था। तबादला करने वाले अफ़सरों ने पाकिस्तान से आये जंगी क़ैदियों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी। रशीद ने उनके हर प्रश्न का नपा-तुला उत्तर दिया। जब उसके कागज़ों जांच हो रही थी तो अपने चेहरे की घबराहट छिपाने के लिए उसने सिगरेट मुंह में ले लिया...और ज्यों ही उसने जेब से लाइटर निकालकर उसे सुलगाने का प्रयास किया कि चैक करने वाले अफ़सर ने अपने लाइटर से उसका सिगरेट जलाते हुए कहा- ''शायद गैस समाप्त हो चुकी है।''

''थैंक यू...'' रशीद ने धुआं हवा में छोड़ते हुए कहा।

थोड़ी ही देर में यह परीक्षा समाप्त हो गई और भारतीय सेना के अफ़सरों ने रशीद को रणजीत समझकर स्वीकार कर लिया। यह पहली बाधा दूर होने पर रशीद के चेहरे पर संतोष की तरंग दौड़ गई और वह अपना सामान उठाकर दूसरे अफ़सरों के साथ उस ट्रक में जा बैठा जो थोड़ी ही देर में उनको अपने देश की सीमा में पहुंचा देने वाला था। इस ट्रक में दूसरे कैम्पों से लाए गए कुछ और अफ़सर तथा जवान भी आ मिले थे। रशीद ने आनेवाली समस्याओं के संबंध में सोचते हुए एक गम्भीर दृष्टि उस धरती पर डाली जिससे वफ़ादारी की प्रतिज्ञा करके, सिर पर कफ़न बांधकर घर से निकला था।

भारतीय सेना का ट्रक ज्यों ही वाघा बार्डर पार करके भारत की सीमा में प्रविष्ट हुआ, तो सबकी मिली-जुली हर्ष की ध्वनि से वातावरण गूंज उठा। हर एक का चेहरा उल्लास से तमतमा रहा था। मेजर रशीद ने भी अपने चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाने का प्रयत्न किया था।

''बल्ले-बल्ले! साडे देश दी हवा ही कुछ और है।'' मेजर बलबीर सिंह ने एक लम्बी सांस लेते हुए अपने देश की बहुत-सी हवा एक साथ पीते हुए पंजाबी में कहा। शायद इस हवा के लिए वह महीनों से तरस रहा था।

''इसमें क्या संदेह है...बहुत दिनों बाद इस मिट्टी की महक सूंघने को मिली है। मेरा विचार है, शायद ऐसी सुगंध किसी दूसरे देश की मिट्टी में नहीं है।'' एक और अफ़सर ने बलबीर के विचारों का समर्थन करते हुए कहा।

''नानसेंस!'' मेजर मेहता उनकी ओर देखकर बोल उठा-''सब देशों की मिट्टी एक समान होती है।''

''नहीं मेजर साहब...इस बात में मैं आपसे सहमत नहीं हू। हमारे पंजाब की मिट्टी सबसे अनोखी है, यह तो आपको मानना ही पड़ेगा। खेती-बाड़ी हो, खेल-कूद हो, व्यापार हो या इंडस्ट्री अथवा देश की रक्षा... अपना पंजाब हर क्षेत्र में, आगे है।'' बलबीर सिंह ने अपने भावों की व्याख्या करते हुए कुछ जोश में कहा।

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