लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> वापसी

वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730
आईएसबीएन :9781613015575

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

363 पाठक हैं

सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

4

चूं-चूं की मधुर ध्वनि से सलमा की बालकनी में झुका हुआ जामुन का वृक्ष जैसे जाग उठता। नन्हीं-नन्हीं चिड़ियों की ये चहचहाहट उसे बहुत प्रिय लगती। एक बार इन झुकी हुई शाखाओं द्वारा चोरों ने उसके घर में घुसने का प्रयत्न किया था, तो मेजर रशीद ने उसे कटवा देना चाहा था, परंतु सलमा ने इन शाखाओं को कटने नहीं दिया था। बड़े भोलेपन से उसने पति से कहा था-''चोरों के डर से हम इन ग़रीब चिड़ियों का बसेरा क्यों उजाड़ें। सोचिए, कितनी बद्दुआएं देंगी। अब्बाजान कहते हैं, सुबह सिर्फ इंसान ही खुदा को याद नहीं करते, बल्कि ये चरिंदे-परिंदे भी उसकी इबादत करते हैं। ये चिड़िया भी अल्लाह का नाम लेती हैं और इससे घर में बरक्कत होती है...। इन्शा-अल्लाह हमारे घर में चोर कभी चोरी करने में कामयाब नहीं हो सकते।''

ये ही चिड़ियां हर रोज़ चहककर उसे जगातीं। वह सवेरे उठते ही सबसे पहले मुटठी भर चावल लेकर बालकनी में डाल देती। चिड़ियां जामुन की टहनियों से फुदक-फुदककर बालकनी में आतीं और दाना चुगने लगतीं।

नित्य की तरह आज भी, जब सुबह के अंधेरे में चिड़ियों की चहचहाहट उसके कानों में गूंजी, तो उसने आंखें बंद किए ही करवट ली और आदत के अनुसार पति की ओर अपना दायां हाथ बढ़ाया। लेकिन उसका पति वहां कहां था? सलमा ने चौंककर आंखें खोल दीं और आश्चर्य से खाली बिस्तर को देखने लगी। फिर हड़बड़ाकर उठ बैठी और चारों ओर दृष्टि घुमाकर देखने लगी। मेजर रशीद कहीं सामने दिखाई नहीं दिया उसने सोचा, इतना सवेरे तो वे स्वयं कभी बिस्तर छोड़ते नहीं, वही उन्हें उठाती थी और वह उठते ही चाय पीते थे...। फिर अचानक यह सोचकर वह मुस्करा दी कि शायद वह रणजीत भाई के पास चले गये हों। यह विचार आते ही वह झट उठी और बिखरे हुए बालों को हाथों से संवारती हुई, दोनों के लिए चाय बनाने रसोई-घर में चली गई।

सलमा जब चाय की ट्रे लिये गेस्ट-रूम में आई तो उसने देखा कि कैप्टन रणजीत तो आईने के सामने बैठा दाड़ी बना रहा था, किंतु मेजर रशीद वहां नही थे। उसने 'गुड मार्निंग भाईजान' कहते हुए ट्रे मेज पर जमा दी और कुछ चिंतित स्वर में पूछा-''वह कहां गये?''

''अभी-अभी तो यहीं थे...शायद बाथरूम में होंगे।'' रणजीत ने बिना उसकी ओर देखे हुए ही उत्तर दिया।

''आज आदत के खिलाफ़ वे बहुत सवेरे उठ गए...शायद आपकी वजह से।'' सलमा ने कहा और प्याले में चाय उड़लने के लिए चायदानी से टीकोज़ी हटाते हुए बोली-''आप चाय पी लीजिए...ठंडी हो जाएगी।''

''नहीं-नहीं...जल्दी क्या है...उन्हें आ जाने दीजिए।'' रणजीत ने दुबारा दाढ़ी पर साबुन लगाते हुए कहा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book