ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
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रशीद जब अंगड़ाई लेता हुआ अपने कमरे में आया तो सलमा। उसकी प्रतीक्षा करते सो गई थी। इस सोये हुए सौन्दर्य को देखकर। उसका मन चाहा कि इन मधुमय होंठों को चूम ले, परन्तु यह सोचकर कि उसकी नींद खुल जाएगी, वह अपनी इच्छा को मन-ही-मन दबाकर, चुपचाप बिस्तर पर लेट गया।
बहुत प्रयत्न करने पर भी वह सो न सका। रणजीत की बातें अब तक उसके मनो-मस्तिष्क पर छाई हुई थीं। उसने कुरेद-कुरेद-कर रणजीत को उसका पूरा अतीत का जीवन बयान करने पर मज़बूर कर दिया था। रणजीत का बचपन कहां और कैसे बीता, उसने किस स्कूल में शिक्षा पाई...उसके खास-खास दोस्त कौन थे। उसकी पहली भेंट पूनम से कहां और कैसे हुई थी...दोनों ने एक-दूसरे को क्या वचन दिये? फ़ौजी नौकरी के दौरान उसकी पोस्टिंग कहां-कहां हो चुकी थी? उसकी रेज़ीमेंट के अफ़सरों के क्या नाम थे? उसने कहां ट्रेनिंग प्राप्त की थी? उसकी मां की आदतें क्या-क्या थीं और वह उसे किस नाम से पुकारती थी...रणजीत के जीवन-संबंधी ऐसी कोई बात नहीं थीं, जिससे वह अनभिज्ञ रह गया हो। अपनी इस चतुराई पर वह मुस्करा उठा।
कुछ सोचकर उसने टेबल-लैम्प बुझाकर बेड स्विच ऑन कर दिया और उसके धुंधले प्रकाश में अपने-आपको रणजीत के रूप में ढालने का प्रयास करने लगा। वह किस तरह मुस्कराता है...बातें करते-करते कैसे अचानक माथे पर बल डाल देता है। लेटे-लेटे वह चुपचाप रणजीत की हरकतों का अभ्यास करने लगा। कभी-कभी अपने-आपही वह रणजीत की भांति मुस्कराने लगता। कभी माथे पर बल डाल देता, तो कभी सलमा की ओर देखकर झेंप जाता। उसने सोचा वह एक अच्छा ऐक्टर बन सकता है और यह ऐक्टिंग भारत में उसके बहुत काम आयेगी।
वह इन्हीं विचारों में खोया हुआ था कि अचानक सलमा ने करवट ली और अपना हाथ उसकी कमर में डाल दिया। उसके शरीर की गरमी और सांसों के चलने से रशीद ने अनुभव किया कि वह अभी तक सोई नहीं है, जाग रही है।
''अरे...तुम अब तक जाग रही हो?'' रशीद ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा।
''और क्या करती...!'' सलमा बड़े अंदाज़ से ठुनककर बोली-''इतने दिनों बाद आये और सारी रात दोस्त से बातें करते हुए गुज़ार दी...ऊह!''
''बातें ही इतनी दिलचस्प थीं कि उठने को जी ही नहीं चाह रहा था।''
''तो ज़रूर पूनम के बारे में बातें हुई होंगी।'' सलमा ने मुस्कराते हुए कहा और रशीद से और अधिक चिपक गई।
''तुमने कैसे जाना?''
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