ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
''धन्यवाद! मैं सिगरेट नहीं पीता।'' रणजीत ने कहा और फिर एकाएक न जाने उसके मन में कौन-सा विचार उठा कि वह कुछ अधीर होकर मेजर रशीद से बोला-''एक गुजारिश है।''
''फ़रमाइये।'' मेजर रशीद ने लाइटर से सिगरेट जलाते हुए कहा।
''मेरे कागज़ात और जो चीज़े आपके कब्जे में हैं, उनमें पूनम की तस्वीर और एक सिगरेट लाइटर भी है।''
''सिगरेट तो तुम पीते नहीं भाई, फिर यह सिगरेट लाइटर?'' मेजर रशीद ने आश्चर्य से पूछा।
''दरअसल वह सिगरेट लाइटर नहीं, टेपरिकार्डर है।''
मेजर रशीद ने चौंककर उसकी ओर देखा तो रणजीत ने झट उसकी घबराहट दूर करते हुए कहा-''घबराइये नहीं, यह रिकार्डर जासूसी के लिए नहीं है। दरअसल उसमें पूनम की आवाज़ भरी हुई है, जिसे सुनकर मैं अपना जी बहला लिया करता था। वह आवाज़ और उसकी तस्वीर मेरे मन की शांति है। हो सके तो उसे लौटा दीजिएगा।''
मेजर रशीद ने संतोष की सांस ली और कहा-''मैं कोशिश करूंगा, अगर वे सब डिस्ट्राय नहीं कर दिये गये होंगे, तो ज़रूर आपको लौटा दिये जायेंगे।'' यह कहते हुए वह उठ खड़ा हुआ और रणजीत को साथ लेकर गेस्टरूम की ओर चला गया।
उनके जाते ही सलमा ने जम्हाइयां लेते हुए जल्दी-जल्दी मेज़ से बर्तन समेटे और सोने के लिए अपने कमरे में चली गई।
दोनों दोस्त न जाने कितनी देर तक बैठे आपस में बातें करते रहे।
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