ई-पुस्तकें >> वापसी वापसीगुलशन नन्दा
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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास
तभी गौरी एक छोटी सी कटोरी में सरसों का तेल लेकर आ गई और कुछ बूंदें रशीद के पैरों के पास टपका कर बोली- ''बस, अब आ जाओ भैया...अंदर।''
''अरी गौरी...तू तो एकदम इतनी लम्बी-चौड़ी हो गई।'' रशीद ने घर के अंदर आते हुए कहा और फिर इधर-उधर देखते हुए बोला-''मां कहां हैं?''
''मन्दिर गई हैं। दोनों समय, देवी माता से आपकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने जाती हैं...बस आती ही होंगी।'' गौरी ने कहा और जल्दी-जल्दी पलंग का बिस्तर ठीक करती हुई बोली-''बैठो ना भैया!''
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