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तिरंगा हाउस

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :182
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9728
आईएसबीएन :9781613016022

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समकालीन कहानी संग्रह

लेकिन जब ‘बरगद की बेटी’ लाला जी के साथ विदा होने लगी तब गांव की सैकड़ों औरतें एकत्रित हो गयीं। पुजारिन अपनी राधा के लिए आंख नम किए थी तो कमला अपनी पथवारी के लिए आह भर रही थी परन्तु रुकमणी का हृदय तो इस विदाई से फटा जा रहा था। एक बार तो उसने राधा को अपने गले से चिपका लिया। सब को नम करती हुए राधा, पथवारी, बरगद की बेटी मन मसोसकर लाला बशेसर लाल की गाड़ी में बैठकर चली गयी।

प्रौढ लोगों के बीच यदाकदा चर्चा चल पड़ती थी, नई पीढ़ी को कुछ ध्यान नहीं था परन्तु रजनी तो इधर उधर से ‘बरगद की बेटी’ का समाचार एकत्रित कर लेती। फिर एक बार यह समाचार आग की भांति सारे गांव में फैल गया कि राधा का प्रशासनिक अधिकारी के लिए चुनाव हो गया अखबार में उसकी फोटो भी छपी थी। साथ-साथ यह भी लिखा था इस जन्माष्टमी उत्सव पर वह गांव में अपने पिता लाला बशेसर लाल के साथ आएगी। रजनी देर तक अखबार में छपे फोटो को सहलाती रही।

इस जन्माष्टमी उत्सव पर मंदिर में आपार भीड़ थी। सारी व्यवस्था पुलिस विभाग ने संभाल रखी थी। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने मंच पर अपना स्थान ले रखा था। हमारे गांव की बेटी जिसे प्यार से ‘बरगद की बेटी’ कहते हैं तो कोई राधा कहता है अब आपके सम्मुख अपने मन की बात कहेगी।

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