| ई-पुस्तकें >> श्रीहनुमानचालीसा श्रीहनुमानचालीसागोस्वामी तुलसीदास
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हनुमान स्तुति
 अष्ट सिद्घि नौ निधि के दाता । 
 अस वर दीन जानकी माता ।।31।।
 
 राम रसायन तुम्हरे पासा । 
 सदा रहो रघुपति के दासा ।।32।।
 
 तुम्हरे भजन राम को भावै । 
 जनम जनम के दुख बिसरावै ।।33।।
 
 अन्तकाल रघुबर पुर जाई । 
 जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।34।।
 
 और देवता चित्त न धरई । 
 हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।35।।
 
 संकट कटै मिटै सब पीरा । 
 जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।36।।
 
 जै जै जै हनुमान गोसाईं । 
 कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।37।।
 
 जो शत बार पाठ कर कोई । 
 छूटहिं बंदि महासुख होई ।।38।।
 
 जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । 
 होय सिद्घि साखी गौरीसा ।।39।।
 
 तुलसीदास सदा हरि चेरा । 
 कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।।40।।
 
 ।। दोहा ।।
 
 पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।।
 राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।
 
 ।।इति।।
 
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