ई-पुस्तकें >> श्रीहनुमानचालीसा श्रीहनुमानचालीसागोस्वामी तुलसीदास
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हनुमान स्तुति
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।21।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ।।22।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक ते काँपै ।।23।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ।।24।।
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।।25।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।26।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ।।27।।
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।28।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्घ जगत उजियारा ।।29।।
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ।।30।।
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