ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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हमें कब हसरतों की क़ैद से आज़ाद करती है
हमें कब हसरतों की क़ैद से आज़ाद करती है।
हवस कुछ भी नहीं देती है बस बरबाद करती है।।
फ़क़ीरी ही उसे ख़ैरात देती है, दुआओं की,
हुकूमत गिड़गिड़ा कर जब कभी फ़रियाद करती है।
तुम्हारी प्यास है मोहताज दरिया की, समन्दर की,
हमारी तश्नगी, सहराओं को आबाद करती है।
मुहब्बत में मुसीबत है अना दिल तोड़ देती है,
मुसीबत में अना लेकिन बड़ी इमदाद करती है।
अगर थामे नहीं रहती तो कब के ढह गये होते,
ये कहकर गुम्बदों की परवरिश बुनियाद करती है।
मैं ख़ादिम हूँ किये जाता हूँ ख़िदमत इससे मतलब क्या,
ये दुनिया भूल जाती है कि मुझको याद करती है।
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