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ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720
आईएसबीएन :9781613014448

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



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हमें कब हसरतों की क़ैद से आज़ाद करती है


हमें कब हसरतों की क़ैद से आज़ाद करती है।
हवस कुछ भी नहीं देती है बस बरबाद करती है।।

फ़क़ीरी ही उसे ख़ैरात देती है, दुआओं की,
हुकूमत गिड़गिड़ा कर जब कभी फ़रियाद करती है।

तुम्हारी प्यास है मोहताज दरिया की, समन्दर की,
हमारी तश्नगी, सहराओं को आबाद करती है।

मुहब्बत में मुसीबत है अना दिल तोड़ देती है,
मुसीबत में अना लेकिन बड़ी इमदाद करती है।

अगर थामे नहीं रहती तो कब के ढह गये होते,
ये कहकर गुम्बदों की परवरिश बुनियाद करती है।

मैं ख़ादिम हूँ किये जाता हूँ ख़िदमत इससे मतलब क्या,
ये दुनिया भूल जाती है कि मुझको याद करती है।

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Abhilash Trivedi

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