ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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बारिशों में अकाल जैसी है
बारिशों में अकाल जैसी है।
बात बिल्कुल कमाल जैसी है।।
मुस्कुरा तो रहे हैं हम लेकिन,
मुस्कुराहट मलाल जैसी है।
आपकी बातचीत भी साहब,
इक शिकारी के जाल जैसी है।
पूछते क्या हैं ख़ैरियत मेरी,
देश के हालचाल जैसी है।
सबको अपना जवाब लिखना है,
ज़िन्दगी इक सवाल जैसी है।
हम अदीबों के वास्ते ये अना,
इक सिपाही की ढाल जैसी है।
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