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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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258 पाठक हैं
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
89
अगर न तंग हो अपनी नज़र दिखाई दे
अगर न तंग हो अपनी नज़र दिखाई दे।
तुझे भी ख़ुद सा कोई मो’तबर दिखाई दे।।
ये शायरी का तक़ाज़ा है बात यूँ कहिए,
हर एक शख़्स पे उसका असर दिखाई दे।
कभी वो ख़्वाब में आये तो इस तरह आये,
बस एक चेहरा वही रात भर दिखाई दे।
ये मान लूँ मैं चमन में बहार आई है,
कोई तो फूल किसी शाख़ पर दिखाई दे।
थके-थके से सितारे इस इन्तज़ार में हैं,
फिर आफ़ताब उगे फिर सहर दिखाई दे।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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