ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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ये जुर्म है तो हमें है क़ुबूल तोड़ दिये
ये जुर्म है तो हमें है क़ुबूल तोड़ दिये।
बचा ली दोस्ती हमने उसूल तोड़ दिये।।
दिलों के बीच जो रिश्ते बने थे मुश्किल से,
ज़रा सी बात पे तुमने फ़ुजूल तोड़ दिये।
बना के रेत के घर कितने ख़ुश थे कुछ बच्चे,
लहर से हो गई कैसी ये भूल, तोड़ दिये।
ये आईनों की है फ़ितरत वो सच कहेंगे ही,
गुनाह क्या था, दिया तुमने तूल, तोड़ दिये।
गुलों का होना ज़रूरी है ख़ुश्बुओं के लिये,
तो किस जुनून में तुमने ये फूल तोड़ दिये।
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