ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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दर-दर प्यासा फिरा अगर ख़य्याम ज़माने में
दर-दर प्यासा फिरा अगर ख़य्याम ज़माने में।
मयख़ानों हो जाआगे बदनाम ज़माने में।।
जंगल झुलसे, नदियाँ सूखीं, बंजर खेत हुए,
आगे जाने क्या-क्या होगा, राम ज़माने में।
रातो-दिन, रोटी की ख़ातिर, जिनको लड़ना है,
उनको, कब मिल पायेगा आराम ज़माने में।
रिश्ते-नाते, प्यार-मुहब्बत, सब कुछ देख लिया,
केवल रुपया-पैसा आया काम, ज़माने में।
सच को सूली पर लटका कर, ज़श्न मनाते हैं,
झूठों को बाँटे जाते, ईनाम ज़माने में।
न्याय, व्यवस्था, कुर्सी, संसद, मुल्ला और महंत,
मौके मौके, होते हैं नीलाम ज़माने में।
पूछो उसने किस के दिल में जगह बनाई है,
वैसे तो उसका है काफी नाम ज़माने में।
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