ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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दे कोई क़ैद या रिहाई दे
दे कोई क़ैद या रिहाई दे।
बे-ख़ता है तो क्या सफ़ाई दे।।
मुझको जीना है इस ज़माने में,
या ख़ुदा मुझको बेहयाई दे।
मेरा हमदर्द भी है नीम-हक़ीम,
दर्द कुछ और कुछ दवाई दे।
तेरे आमाल भी हैं ज़िम्मेदार,
सिर्फ़ क़िस्मत की मत दुहाई दे।
वो भी आवाज़ दे उधर से मुझे,
काश! पत्थर को कुछ सुनाई दे।
कोशिशें कामयाब कर मौला,
मेरे लफ़्ज़ों को रहनुमाई दे।
मेरी ग़ज़लों को इतना रौशन कर,
दूर तक रास्ता दिखाई दे।
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