ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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सिर्फ़ यादों का इक सिलसिला रह गया
सिर्फ़ यादों का इक सिलसिला रह गया।
उससे अब और क्या वास्ता रह गया।।
छुप गया चाँद जा कर न जाने कहाँ,
इक सितारा उसे ढूँढता रह गया।
मिल गया राह में वो तो ऐसा लगा,
मंज़िलें मिल गईं, रास्ता रह गया।
वो मिला, उसकी नज़दीकियाँ भी मिलीं,
फिर भी थोड़ा बहुत फ़ासला रह गया।
नाम लिख कर ये सोचा, उसे क्या लिखूँ,
उसको सोचा, तो बस सोचता रह गया।
उसकी यादों से रौशन है दिल आज तक,
एक खंडहर में जलता दिया रह गया।
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