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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
66
सब बिछाये हैं जाल राहों पर
सब बिछाये हैं जाल राहों पर।
है निकलना मुहाल राहों पर।।
आदमी, तलघरों में दुबके हैं,
घूमते हैं, सवाल राहों पर।
कोठियों से, सही नहीं दिखता,
आओ, देखो तो हाल राहों पर।
पेट के वास्ते जमूरे सब,
कर रहें हैं कमाल राहों पर।
हैं सियासी दलाल संसद में,
और उनके दलाल राहों पर।
जाने किसकी तलाश करता है,
एक शायर का ख्य़ाल, राहों पर।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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