ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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सब बिछाये हैं जाल राहों पर
सब बिछाये हैं जाल राहों पर।
है निकलना मुहाल राहों पर।।
आदमी, तलघरों में दुबके हैं,
घूमते हैं, सवाल राहों पर।
कोठियों से, सही नहीं दिखता,
आओ, देखो तो हाल राहों पर।
पेट के वास्ते जमूरे सब,
कर रहें हैं कमाल राहों पर।
हैं सियासी दलाल संसद में,
और उनके दलाल राहों पर।
जाने किसकी तलाश करता है,
एक शायर का ख्य़ाल, राहों पर।
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