ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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कोशिशें कर लीं, न कर पाया मगर रुसवा मुझे
कोशिशें कर लीं, न कर पाया मगर रुसवा मुझे।
आज़माया लाख उसने मुद्दतों परखा मुझे।।
ख़ामियाँ उसको नज़र आईं हैं शायद इसलिए,
देखने वाले ने काफ़ी दूर से देखा मुझे।
जान भी देता है मुझ पर मेरा दीवाना भी है,
लेकिन उससे बेवफ़ाई का भी है ख़तरा मुझे।
जब भी मुझको देखता है मुस्कुरा देता है वो,
जाने क्या सोचा है उसने, जाने क्या समझा मुझे।
मैं भी दे सकता हूँ उसकी सारी बातों का जवाब,
इसलिए चुप हूँ मेरे इख़लाक़ ने रोका मुझे।
सुब्ह का भूला हूँ मैं आ जाऊँगा घर शाम तक,
वो जो ख़ुद भटका है क्या दिखलायेगा रस्ता मुझे।
है अदालत आपकी जो फ़ैसला दे दीजिए,
वक़्त साबित कर ही देगा एक दिन सच्चा मुझे।
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