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संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720
आईएसबीएन :9781613014448

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



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बनती ही नहीं दिखती है बात किसी सूरत


बनती ही नहीं दिखती है बात किसी सूरत।
लगता है न सुधरेंगे हालात किसी सूरत।।

खिल सकते हैं फूलों के मुरझाये हुए चेहरे,
हो जाये जो थोड़ी सी बरसात किसी सूरत।

पत्थर के लिये आँसू बेकार सही लेकिन,
रोके से नहीं रुकते जज्ब़ात किसी सूरत।

सूरज के निकलते ही मर जायेगा हर सपना,
बस यूँ ही ठहर जाये ये रात किसी सूरत।

सच रह न सके ज़िन्दा कोशिश रही दुनिया की,
फिर भी है अभी ज़िन्दा सुकरात किसी सूरत।

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