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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
54
यूँ तो टूटी है बारहा उम्मीद
यूँ तो टूटी है बारहा उम्मीद।
फिर भी ज़िन्दा है बेहया उम्मीद।।
कामयाबी की इब्तिदा उम्मीद,
दिल के हर दर्द की दवा उम्मीद।
हौसले को बनाये रखती है,
इतना करती है फ़ायदा उम्मीद।
कुछ तअल्लुक़ नहीं रहा लेकिन,
मेरा उसका है वास्ता उम्मीद।
आदमी बुत है एक मिट्टी का,
उससे रखते हैं आप क्या उम्मीद।
मुश्किलों में भी ढूँढ़ लाती है,
अपनी मंज़िल का रास्ता उम्मीद।
नाउम्मीदी तो मौत है ‘राजेन्द्र’,
ज़िन्दगी का है फ़लसफ़ा उम्मीद।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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