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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
53
मेरी आँखों ने यूँ तो राह चलते कारवाँ देखे
मेरी आँखों ने यूँ तो राह चलते कारवाँ देखे।
न देखे मील के पत्थर न क़दमों के निशाँ देखे।।
किसी प्यासे की ख़ातिर तो नहीं उतरे पहाड़ों से,
समंदर तक पहुँचने को मगर दरिया रवाँ देखे।
कोई भी हादसा हो शहर भर ख़ामोश रहता है,
ज़बाँ रखते हुए भी लोग हमने बेज़बाँ देखे।
हक़ीक़त में कभी मिलते नहीं नज़रों का धोखा है,
जो आपस में गले मिलते ज़मीनो-आस्माँ देखे।
उसूलों का इरादों का मुहब्बत का वफ़ाओं का,
कोई जैसे भी चाहे लेके मेरा इम्तेहाँ देखे।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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