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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
52
सफ़र कठिन ही सही, तू जो हमक़दम हो जाय
सफ़र कठिन ही सही, तू जो हमक़दम हो जाय।
तो लुत्फ़ आये, सफ़र की थकान कम हो जाय।।
ये सर झुका है तेरे दर पे, बस यहीं पे झुके,
इसे बचाना, कहीं और भी न ख़म हो जाय।
मैं आदमी हूँ, मुझे देवता बनाओ नहीं,
ख़ुदा करे न कभी, मुझको ये भरम हो जाय।
समझ लो, आँख का पानी नहीं मरा है अभी,
जो दर्द देख के औरों का, आँख नम हो जाय।
जो हमको बाँट चुके हैं, वो इस फ़िराक़ में हैं,
ख़ुदा, ख़ुदा न रहे दैर और हरम हो जाय।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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