ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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किस कदर महफ़िल के पसमंज़र में तनहाई मिली
किस कदर महफ़िल के पसमंज़र में तनहाई मिली।
जो तमाशा है, वही दुनिया तमाशाई मिली।।
फ़िक्र को परवाज़, और ग़ज़लों को रानाई मिली,
जब तेरी यादों की खु़श्बू ले के, पुरवाई मिली।
सारी दुनिया दिख रही थी, पर नहीं दिखता था मैं,
फेर लीं दुनिया से जब आँखें, तो बीनाई मिली।
डूब कर देखा तो हर दरिया दिखा मेरी तरह,
प्यास उतनी ही मिली, जितनी कि गहराई मिली।
मैं ग़ज़ल कहता भी हूँ और कह के पछताता भी हूँ,
मिल गई ग़ज़लों को शोहरत, मुझको रुसवाई मिली।
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