ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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ज़िन्दगी में ज़िन्दगी जैसा मिला कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी जैसा मिला कुछ भी नहीं।
देने वाले से मगर हमको गिला कुछ भी नहीं।।
उम्र भर हम सब को तय करना है सांसों का सफ़र,
ज़िन्दगी और मौत में यूँ फ़ासिला कुछ भी नहीं।
मैं हूँ, मेरा रास्ता है और... इक उम्मीद है,
कोई संगे-मील, रहबर, क़ाफ़िला, कुछ भी नहीं।
हमने दे-देकर लहू सींचा कि महकेगा चमन,
और बहार आई तो शाख़ों पर खिला कुछ भी नहीं।
ख़ून में अपने वफ़ादारी है, इसको क्या करें?
वैसे दुनिया में वफ़ाओं का सिला कुछ भी नहीं।
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