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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
45
माना हज़ार ग़म हैं, इक ज़िन्दगी के पीछे
माना हज़ार ग़म हैं, इक ज़िन्दगी के पीछे।
फिर भी तो भागते हैं, हम तुम उसी के पीछे।।
अफ़सोस बस है इतना, अब भी वो ख़ुश नहीं है,
दुनिया लुटा दी हमने, जिसकी ख़ुशी के पीछे।
उस आदमी का मरना, इक हादसा नहीं था,
इक दास्तां छुपी है, उस ख़ुदकुशी के पीछे।
अब छूटती नहीं है, हालांकि जानता हूँ,
सौ बार चोट खाई, इस सादगी के पीछे।
कल तक, जिसे ज़माना पहचानता नहीं था,
चलती है आज दुनिया, उस अजनबी के पीछे।
कुछ उसकी भी रज़ा है, कुछ आपकी दुआएं,
कुछ मेरी कोशिशें हैं, अपनी ख़ुशी के पीछे।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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