ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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लुटा के ख़ुद को, वफ़ा लूट ले गया कोई
लुटा के ख़ुद को, वफ़ा लूट ले गया कोई।
किसे पता है ये, क्या लूट ले गया कोई।।
ये कौन कहता है, हर इक मज़ा है दौलत से,
लो मुफ़लिसी में, मज़ा लूट ले गया कोई।
हर एक साँस में बारुद भर गई जैसे,
चमन से ताज़ा हवा, लूट ले गया कोई।
मेरी सदाएं, न मंज़िल को चूम कर लौटीं,
सफ़र में मेरी सदा, लूट ले गया कोई।
हमारे वास्ते उसने दुआ तो की लेकिन,
हमारे हक़ की दुआ, लूट ले गया कोई।
हमें तो लूट चुका था, ये वक़्त पहले ही,
बस एक दिल था बचा, लूट ले गया कोई।
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