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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
43
सच को झुठलाने की हिम्मत भी, कहाँ तक करते
सच को झुठलाने की हिम्मत भी, कहाँ तक करते।
यानी ख्व़ाबों की हिफा़ज़त भी, कहाँ तक करते।।
कह दिया दिल ने, तो हालात का ग़म छोड़ दिया,
हम भला दिल से, बग़ावत भी कहाँ तक करते।
कोई एहसास, न जज्ब़ात, न धड़कन जिसमें,
एक पत्थर से, मुहब्बत भी कहाँ तक करते।
एक दीवाने से, क्या मिलता किसी को आख़िर,
लोग फिर हम से, मुरव्वत भी कहाँ तक करते।
ये तो अच्छा हुआ, बाज़ार में आये ही नहीं,
हम, उसूलों की तिजारत भी कहाँ तक करते।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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