ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
|
4 पाठकों को प्रिय 258 पाठक हैं |
मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
42
मुझसे कोई हसीन शिकायत बनी रहे
मुझसे कोई हसीन शिकायत बनी रहे।
तेरी शिकायतों की ये आदत बनी रहे।।
ये दिल भी क्या अजीब तमाशा उठाये है,
पहलू में चाहता है क़यामत बनी रहे।
जागीर तख़्तो-ताज न दे, मालो-ज़र न दे,
लेकिन दिलों पे अपनी हुकूमत बनी रहे।
दामन हो, या दरख़्त हो, ज़ुल्फ़ों की छाँव हो,
साये को सबके सर पे कोई छत बनी रहे।
महफ़िल से जब उठूँ तो हर इक शख़्स रो पड़े,
मौजूद हूँ तो मेरी ज़रुरत बनी रहे।
|