ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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ख़त की सूरत सही पैग़ाम तो उस तक पहुँचा
ख़त की सूरत सही पैग़ाम तो उस तक पहुँचा।
मैं न पहुँचा तो मेरा नाम तो उस तक पहुँचा।।
ये अलग बात है हो जाये बरी वो लेकिन,
हाँ मेरे क़त्ल का इल्ज़ाम तो उस तक पहुँचा।
प्यास होंठों का मुक़द्दर थी तो बुझती कैसे,
वो मगर ख़ुश था चलो जाम तो उस तक पहुँचा।
आदमी फिरता रहा सिर्फ इधर और उधर,
जब कहीं पाया न आराम तो उस तक पहुँचा।
दिल ने हर एक ख़ुशी उस पे निछावर करके,
कर दिया ख़ुद को भी नीलाम तो उस तक पहुँचा।
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