ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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आज के जलते हुए माहौल के मंज़र न दो
आज के जलते हुए माहौल के मंज़र न दो।
फूल जैसे नौनिहालों को अभी पत्थर न दो।।
ये अभी बच्चे हैं अपनी काट लेंगे उंगलियाँ,
इनके हाथों में किताबें दो इन्हें खंजर न दो।
जिनकी आँखों में अभी जलने हैं ख्व़ाबों के चराग़,
उनकी आँखों में अभी से आँधियों का डर न दो।
नर्म काँधों को ज़रा मजबूत होने दो अभी,
बोझ दुनिया का अभी से इनके काँधों पर न दो।
ये न हो दुनिया के जंगल में भटकते ही रहें,
इनको मंज़िल का पता दे दो अगर रहबर न दो।
ये तुम्हीं को देखकर सीखेंगे जीने का हुनर,
तुम विरासत में इन्हें तहज़ीब के खंडहर न दो।
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