ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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जैसे ख़ुश्बू गुल में सीने में धड़कता दिल रहा
जैसे ख़ुश्बू गुल में सीने में धड़कता दिल रहा।
वो हमारी ज़िन्दगी में इस तरह शामिल रहा।।
साथ चलते क़ाफ़िले से इसलिये ग़ाफ़िल रहा,
मंजि़लों के बाद भी कोई मेरी मंज़िल रहा।
हो मसीहा चाहे का़तिल बावफा़ या बेवफा़,
वो हर इक सूरत में लेकिन प्यार के का़बिल रहा।
उससे इज़हारे-मुहब्बत कर न पाये लब कभी,
इक ज़रा सा काम था पर उम्रभर मुश्किल रहा।
आप इसको क्या कहेंगे? बेबसी बदकि़स्मती,
डूबने वाले के बिल्कुल सामने साहिल रहा।
इक मुहब्बत दे न पाया दे गया सौ ग़म वही,
वो मेरा महबूब भी क्या ख़ूब दरिया दिल रहा।
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