ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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हँसाने की ख़ातिर रुलायेंगे कबतक
हँसाने की ख़ातिर रुलायेंगे कबतक।
हमें आप यूँ आज़मायेंगे कबतक।।
ये मन्दिर, ये मस्जिद, ये हिन्दू मुसलमाँ,
ज़माने को यूँ वरगलायेंगे कबतक।
समय खोल देगा हक़ीक़त किसी दिन,
हकी़क़त को आखि़र छुपायेंगे कबतक।
ये कहते नहीं कुछ ये सुनते नहीं कुछ,
बुतों को कहानी सुनायेंगे कबतक।
उन्हें ज़िद है मिलने न आयेंगे हमसे,
हमें देखना है न आयेंगे कबतक।
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