ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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अक्स से ख़ौफ़ खाने लगे आईने
अक्स से ख़ौफ़ खाने लगे आईने।
अब तो चेहरा छुपाने लगे आईने।।
आदमी की तरह हो गये आजकल,
झूठ को सच बताने लगे आईने।
जब भी देखा तो उभरीं वही सूरतें,
हमको हरदम पुराने लगे आईने।
नींद आने लगी पत्थरों पर मुझे,
मेरे ख्व़ाबों में आने लगे आईने।
कोई देखे न देखे तो हम क्या करें,
हर जगह हर ठिकाने लगे आईने।
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