ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
21
जो याद आई तो आँखें भिगो गये रिश्ते
जो याद आई तो आँखें भिगो गये रिश्ते।
शहर की भीड़ में बच्चों से खो गये रिश्ते।।
सुलग रहा है हर इक घर झुलस रहा आँगन,
दिलों में ऐसी कोई आग बो गये रिश्ते।
मेरा ख़याल था महकेंगे ताज़गी देंगे,
मगर ख़याल में काँटे चुभो गये रिश्ते।
हर एक रात शिकायत कभी बहस करके,
लिपट के मुझसे मेरे साथ सो गये रिश्ते।
मेरे ख़तों को जलाकर सिसक उठा वो भी,
ज़रा सी देर में लो ख़ाक हो गये रिश्ते।
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