ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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तुम्हारी ही नहीं है सिर्फ ये जागीर मौलाना
तुम्हारी ही नहीं है सिर्फ ये जागीर मौलाना।
ग़ज़ल में खींचते हैं हम भी इक तस्वीर मौलाना।।
मेरी ग़ज़लों में लैला है न कोई हीर मौलाना,
मेरे अशआर में है आदमी की पीर मौलाना।
बिना मतलब बहस की, खींच ली शमशीर मौलाना,
न हम हैं ‘दाग़’ मौलाना न तुम हो ‘मीर’ मौलाना।
गये वो दिन ग़ज़ल जब आपकी महफ़िल की लौंडी थी,
लिखेंगे अब ग़ज़ल की हम नई तक़दीर मौलाना।
तेरे फ़तवों, तेरी बातों से कुछ मतलब नहीं हमको,
पता है हमको अपने ख्व़ाब की ताबीर मौलाना।
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