ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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सब के सब हो गये सयाने अब
सब के सब हो गये सयाने अब।
फिर भला किसकी कौन माने अब।।
कितने चालाक़ हो गये पंछी,
ठीक लगते नहीं निशाने अब।
ऊँट आया पहाड़ के नीचे,
अक्ल आ जायेगी ठिकाने अब।
धूप में छाँव दे नहीं पाते,
तेरी ज़ुल्फ़ों के शामियाने अब।
इतने महफ़ूज़ हो गये हैं हम,
हो गये घर भी जेलख़ाने अब।
आओ मिलकर इन्हें बदल डालें,
क़ायदे हो गये पुराने अब।
हम तो ‘राजेन्द्र’ थे ही दीवाने,
आप भी हो गये दिवाने अब।
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