ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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फिर किसी की झील सी आँखों को खारा कर गया
फिर किसी की झील सी आँखों को खारा कर गया।
जाते - जाते वो, न जाने क्या इशारा कर गया।।
हमको ले जायेगा मंज़िल तक भरोसा जिस पे था,
वो हमें मँझधार तक लाकर, किनारा कर गया।
चोट खाकर मुस्कुराना यूँ तो मुश्किल है मगर,
दिल बहुत मजबूर था ये भी गवारा कर गया।
लूटने वाले ने इक एहसान भी हम पर किया,
अपनी यादें दे के जीने का सहारा कर गया।
कर लिया हमने यक़ीं उस बेवफ़ा की बात पर,
आज दिल राजेन्द्र क्यों ग़लती दुबारा कर गया।
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