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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
98
वो औरों की परेशानी से ख़ुश दिखलाई देता है
वो औरों की परेशानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
अजब दाना है, नादानी से ख़ुश दिखलाई देता है।।
कभी खेले कभी तोड़े उसूलों के खिलौनों को,
अभी बच्चा है, शैतानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
हमेशा ख़ुश दिखा जिसने छुरी फेरी है गर्दन पर,
कोई बकरा भी क़ुर्बानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
सितारे भी उसे मिल जायें तो लगते हैं बेमानी,
जो प्यासा है वो बस पानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
कभी बस्ती के जंगल का तमाशा देखता है जब,
तो जंगल अपनी वीरानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
दुआओं का ख़ज़ाना है हर इक दिल पर हुकूमत भी,
कलन्दर ऐसी सुल्तानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
मैं हर दम सोचता हूँ किस तरह राज़ी करूं उसको,
वो मुश्किल से न आसानी से ख़ुश दिखलाई देता है।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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