ई-पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ प्रेरक कहानियाँकन्हैयालाल
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मनोरंजक और प्रेरणाप्रद बोध कथाएँ
7. क्रोधाग्नि की दमकल
सेना के एक प्रमुख अधिकारी ने अमेरिका के तत्कालीन रक्षा-मन्त्री के आर्डर को ठीक से न समझ पाने के कारण कोई भूल कर डाली। जब रक्षा-मन्त्री को यह बात मालूम हुई तो वह तत्कालीन राष्ट्रपति लिंकन के पास पहुँचा और क्रोध से बिफरता हुआ बोला-'श्रीमान जी, सब गुड़-गोबर हो गया!'
लिंकन के पूछने पर रक्षा-मन्त्री ने उन्हें विस्तार से सारी कहानी सुनाई, फिर बोला-'अब आप देखिये कि मैं उस जनरल के बच्चे की कैसी खिंचाई करता हूँ। अभी उसे पत्र लिखता हूँ।'
'ठीक है, अवश्य पत्र लिखिये और उसमें जितने कठोर-से-कठोर शब्दों को प्रयोग कर सकते हो, करिये। राष्ट्रपति ने सुझाव दिया।
अपने नेता की स्वीकृति मिली तो रक्षा-मन्त्री ने अपने मन की भडाँस निकालते हुए खूब गाली- गलौज भरा पत्र लिखा। पत्र पूरा हो जाने पर वह राष्ट्रपति की मेज पर पुन: पहुँचा और विनम्रता के साथ बोला-'श्रीमान्, कृपया आप भी पत्र का अवलोकन करलें। इसमें मैंने सेनाधिकारी को जम कर आड़े हाथों लिया है।'
बिना रक्षामन्त्री की ओर देखे ही राष्ट्रपति ने कहा-'ठीक है, इस पत्र को फाड़कर फेंक दीजिये। ऐसे पत्र भेजने के लिए नहीं, केवल मन की भड़ाँस निकालने के लिए ही लिखे जाते हैं। मैं भी सदैव यही किया करता हूँ। मैं समझता हूँ - ऐसा करके आप अपने क्रोध पर काबू पा लेंगे। '
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