ई-पुस्तकें >> परसाई के राजनीतिक व्यंग्य परसाई के राजनीतिक व्यंग्यहरिशंकर परसाई
|
10 पाठकों को प्रिय 194 पाठक हैं |
राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।
मेरी प्रिय कहानियाँ
दुनिया की तमाम भाषाओं में लिखित असंख्य कहानियों में से श्रेष्ठ कहानी निकालकर बता देना दुस्साहस ही नहीं मूर्खता है। यह मूर्खता मैं नहीं कर रहा हूँ। मेरी स्मृति में कुछ कहानियाँ है जो किसी कारण मशहूर हुईं। ऐसी कहानी जो मन को खटका दे जाय। किसी कहानी की वस्तु या उसका शिल्प या उसकी कथावस्तु, या उसकी गहरी संवेदना कोई भी कारण हो सकता है।
शुरू से ही प्रेमचंद की कई कहानियाँ मुझे श्रेष्ठ लगती हैं। पर कफन बारबार याद आती है। यह कहानी अमानवीकरण की है। माधो की बीबी मरी पड़ी है। अंतिम क्रिया के लिए पैसे नहीं है। माधो और उसका बाप घीसू कफन-दफन के लिए गाँव में चंदा करने निकलते हैं, कुछ धन मिल जाता है। वे घर लौट रहे हैं कि रास्ते में कलारी मिलती है। दोनों कलारी में घुस जाते हैं। खूब शराब पीते हैं। पूड़ी साग खाते हैं। घीसू कहता है - माधो मेरी बीबी जरूर आएगी। उसने हमें बहुत सुख दिया। गरीबी, भखमरी, बेकारी, हताशा ने उनका अमानवीकरण कर दिया।
न जाने क्यों एन्टव चेखव की एक कहानी मुझे याद आ जाती है। यों चेखव की कई कहानियाँ और मशहूर हैं जैसे दि लेडी विथ ए डाग। मेरे जहन में जो कहानी है वह यह है - एक जमींदार तिपहिया गाड़ी पर डाक्टर के पास आता है। वह बेहद परेशान है। वह कहता है - डाक्टर, मेरी बीबी की जान बचा लीजिए। वह बहुत बीमार है। डाक्टर की हालत तब यह कि उनका बेटा मरा पड़ा है और वे उसे दफनाने जानेवाले हैं। डाक्टर ने कहा तुम देख रहे हो यह मेरे बच्चे की लाश है। मैं भी दुखी हूँ। मुझे इसे दफनाने जाना है। जमींदार रोकर कहता है - डाक्टर फिर भी आपका कर्त्तव्य है। मैं अपने एक मित्र को बीबी के पास बिठा आया हूँ। आखिर डाक्टर उसके साथ जाता है। बरामदे में उन्हें बिठाकर भीतर जाता है। चीखता चिल्लाता बाहर आता है और कहता है - डाक्टर मैं तो लुट गया। मेरी बीबी उस दोस्त के साथ भाग गई। अजीब स्थिति है। बेटे की मौत के शोक में डूबा डाक्टर बैठा है। बीबी के भाग जाने से वह जमींदार शोकाकुल है।
|